Sunday 5 October 2014

Jo beet gayi so baat gayi

जो बीत गई सो बात गई!

जीवन में एक सितारा था,

माना, वह बेहद प्यारा था,

वह डूब गया तो डूब गया;

अंबर के आनन को देखो,

कितने इसके तारे टूटे,

कितने इसके प्यारे छूटे,

जो छूट गए फिर कहाँ मिले;

पर बोलो टूटे तारों पर

कब अंबर शोक मनाता है!

जो बीत गई सो बात गई!

जीवन में वह था एक कुसुम,

थे उस पर नित्य निछावर तुम,

वह सूख गया तो सूख गया;

मधुवन की छाती को देखो,

सूखीं कितनी इसकी कलियाँ,

मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ

जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं;

पर बोलो सूखे फूलों पर

कब मधुवन शोर मचाता है;

जो बीत गई सो बात गई!

जीवन में मधु का प्याला था,

तुमने तन-मन दे डाला था,

वह टूट गया तो टूट गया;

मदिरालय का आँगन देखो,

कितने प्याले हिल जाते हैं,

गिर मिट्टी में मिल जाते हैं,

जो गिरते हैं कब उठते हैं;

पर बोलो टूटे प्यालों पर

कब मदिरालय पछताता है!

जो बीत गई सो बात गई!

मृदु मिट्टी के हैं बने हुए,

मधुघट फूटा ही करते हैं,

लघु जीवन लेकर आए हैं,

प्याले टूटा ही करते हैं,

फिर भी मदिरालय के अंदर

मधु के घट हैं, मधुप्याले हैं,

जो मादकता के मारे हैं,

वे मधु लूटा ही करते हैं;

वह कच्चा पीने वाला है

जिसकी ममता घट-प्यालों पर,

जो सच्चे मधु से जला हुआ

कब रोता है, चिल्लाता है!

जो बीत गई सो बात गई!

Harivansh Rai Bachhan


Ajeet singh Dhruv

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